vue - ZERO BUDGET NATURAL FARMING ZBNF HINDI PART 1
Zero Budget Natural (spiritual) farming - the entire training camp in 20 parts Guide - Krishi Rishi Padamshri Subhash Palekar
Commentaires
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हम गुलाम हुए, इसलिए पिछड़े रहे, आज हम आजाद है.
रवीन्द्रनाथ ने कहा था कि गुलामी दो किस्म की होती है, एक है अपने ही पिछड़े अहंकारों की और दूसरी है दूसरों की. दोनों गुलामियाँ घातक है. सुभाष पालेकर जिस खेती की बात कर रहे है, जुम्मा जुम्मा चार दशक पहले तक देश वही खेती कर रहा था, बावजूद इसके अपनी ही जरूरत का अनाज पैदा करने में असमर्थ था. सिर्फ कल्पना कीजिये, यदि १९७० में देश की आबादी १२२ करोड़ होती तो क्या होता?यदि संकरित खेती शुरू नहीं होती तो आज उनके भाषण सुनने के लिए भी आप हम नहीं बचे होते.. -
ज्यादा बचत वाले समाज अर्थशास्त्रिय रूप से तबाह हो चुके है. एडम स्मिथ और कीन्स दोनों ने लिखा है कि जो समाज एक दूसरे पर जितना निर्भर रहें उतने ही उदार और विकसित होते चले गए.. हमारा इतिहास व्यापार और वाणिज्य, आयात और निर्यात से धनवान होने का इतिहास रहा है. अन्गुस मेडिसन नामक ब्रिटिश अर्थशास्त्री लिखता है कि वर्ष १७०० के पहले भारत दुनिया की सबसे महान अर्थव्यवस्था था. आज वर्णव्यवस्था कालबाह्य मानी जायेगी किन्तु एक दौर में इसने देश के श्रमिकों को कौशल्यवान बनाने में बेहतरीन योगदान दिया था.
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आप सभी को नाराज करने की जोखिम लेकर कह रहा हूँ. सुभाष पालेकर केवल भाषणों की खेती कर रहे है. उन्हें जब पद्म पुरस्कार मिला, उनके गांव के ही लोग चकित थे. कृपया भाषण सुनने वाले पहले उनके खेत और उसका बजट आकर देखे. उसके बाद ही अपनी राय बनाये..
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Thnaks to ranveer chauhan for uploading this video. It is like attending the training in person. very informative
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When and where is his next workshop and how to book him for an event in my village? No one responding to phone calls and emails given in their website. Events list seems outdated. Please help.
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Joto sunchhi totoi mugdho hochchhi, protiti kotha bastob sotto, mohot manush guruji subhash palekar, ami tahar mongol kamona kori.
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आपके सेमिनार के वीडिओ देश के सनेमा घरों में चलें तो कैसा रहेगा, मोहन कुमार आगरा 09411922603
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Padamshri Subhash Palekar ur a revolutionary hero as an indian ancinet agriculture who speach & show practically without chemical agricultural farming.
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